बिहारी बोली और भाषा
साधारण रूप में भाषा और बोली के बीच के अंतर को हम इस प्रकार समझ सकते हैं कि भाषा का छोटा रूप बोली होता है। हालांकि बोलियां ही विकसित होकर भाषा का रूप ले लेती है । भाषा वृहद स्तर पर बोली जाती है लेकिन बोली छोटे स्तर पर अर्थात क्षेत्रीय स्तर पर बोली जाती है भाषा का अपना व्याकरण होता है जबकि बोली का नहीं। जैसे हिंदी, उर्दू , इंग्लिश, मलयालम, तेलुगू इत्यादि भाषाएं हैं जबकि मगही, भोजपुरी, अंगिका, गढ़वाली, इत्यादि बोलियां है। अब हम बिहारी भाषा की बात करते हैं। सामान्य रूप से देखा जाता है की बिहार के बाहर बिहारी लोगों द्वारा जो बोलने का तरीका होता है उसके आधार पर लोग उसे बिहारी कहते हैं। वैसे यह कहने में कोई बुराई तो नहीं है लेकिन समस्या तब होती है जब उसमें नीचता की भाव या अनादर का भाव झलकता है। बिहारी कहकर कुछ लोग अपमान करना चाहते हैं और उसे नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं। यह ठीक कुछ उसी तरह है जिस प्रकार Britisher हम भारतीयों को हमारी भाषा एवं संस्कृति के आधार पर नीचा दिखाने की कोशिश करते थे। यहां उ...